Sakhi Hindi Sparsh Part 2 | साखी हिंदी स्पर्श भाग २ प्रशन-अभ्यास
साखी
१ . मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्रतप्त होती है ?
उत्तर:
कबीरदास जी के अनुसार जब आप दूसरों के साथ मीठी भाषा का उपयोग करोगे तो उन्हें आपसे कोई शिकायत नहीं रहेगी | वे सुख का अनुभव करेंगे और जब आपका मन सुद्ध और साफ़ होगा परिनाग्र्व्रूप आपका तन भी शीतल रहेगा |
२ . दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है ? साखी के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिये |
उत्तर:
तीसरी साखी में कबीर का दीपक से तात्पर्य ईश्वर दर्शन से है तथा अंधियारा से तात्पर्य अज्ञान से है | ईशवर को सर्वोच्चा ज्ञान कहा गया है अर्थात जब किसी को सर्वोच्चा ज्ञान के दर्शन हो जाये तो उसका सारा अज्ञान दूर होना संभव है |
३ . ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते ?
उत्तर:
कबीरदस जी दूसरी साखी में शप्त करते हैं की इश्वर कण कण में व्याप्त है , पर हम अपने अज्ञान के कारन उसे नहीं देख पाते क्यों की हम इश्वर को अपने मन में खोजने के वजाय मंदिरों और तीर्थो में खोजते हैं |
४ . संसार में सुखी व्यक्ति कोण है और दुखी कोण ? यहाँ ' सोना ' और ' जागना ' किसके प्रतीक हैं ? इसका प्रोयोग यहाँ क्यों किया गया है ? स्पष्ट कीजिये |
उत्तर:
५ . अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है ?
उत्तर:
अपने स्वोभाव को निर्मल रखने के लिए निंदा करने वाले व्यक्तिओं अपने आसपास रखने का उपाय सुझाया हैं | उनके अनुसार निंदा करने वाले व्यक्ति जब आपने गलतियां निकलेगा तो आप उस गलती को सुधर कर अपना स्वभाव निर्मल बना सकते हैं |
६ . ' एकै आशिर पीव का, पढ़े पंडित होई ' - इस पंक्ति द्वारा कवी क्या कहना चाहता है ?
उत्तर:
७ . कबीर की उध्र्द्त साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिये |
उत्तर:
कबीर की साख्यों में उनके भाषाओं का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है | उद्धृत साकियों की भाषा की विशेषता यह है की इसमें भावना की अनुभूति है रहस्यवादित था जीवन का संवेदनशील संस्पर्श तथा सहजता को प्रमुख स्थान दिया गया है |
ख . निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये -
१ . बिहार भुवंगम तन बसै , मंत्र न लगे कोई |
उत्तर:
इस पंक्ति का भाव यह है की जब की मनुष्य के मन में अपनों से बिछड़ने का गम रुपी सांप जगह बना लेता है तो कोई दवा , कोई मंत्र कम नहीं आता |
२ . कस्तुरी कुंडली बसै, मृग दूँदै बन माँही |
उत्तर:
इस पंक्ति का भाव यह है की अज्ञान के कारण कस्तूरी हिरन पुरे वन में कस्तूरी की कुश्बू के स्त्रोत को ढूंढता रहता है जब की वह तो उसी के पास नाभि में विघमान होता है |
३ . जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नहीं |
उत्तर:
इस पंक्ति का भाव यह हैं की आहंकर और इश्वर एक दुसरे के विपरीत हैं जहाँ आहंकर हैं वहां इश्वर नहीं, जहाँ इश्वर है वहां आहंकर का वास नहीं होता |
४ . पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुवा, पंडित भया न कोई |
उत्तर:
इस पंक्ति का भाव यह है की किताबी ज्ञान किसीको पंडित नहीं बना सकता, पंडित बन्ने के लिए इश्वर - प्रेम का एक अक्षर इस काफी है |
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